मुख्य कार्यक्रम
-
1
राष्ट्रीय अधिवेशन एवं वार्षिकोत्सव - "लटिया महोत्सव" |
प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को सम्राट अशोक क्लब, अपने स्थापना दिवस को लटियाॅ महोत्सव के रुप में, सम्राट अशोक स्तम्भ परिसर, सिद्धार्थ नगर, जमानियां, गाजीपुर, उ0 प्र0 (भारत) में मनाता है। 2 फरवरी, 1996 को बाबू जगदेव प्रसाद के जन्म दिवस के अवसर पर विद्वान विचारको द्वारा सामाजिक क्रान्ति के लिए सम्राट अशोक क्लब की स्थापना की गई थी।
इस स्थान पर सम्राट अशोक महान् द्वारा निर्मित अशोक स्तम्भ है। वाराणसी से सटे हुए इस क्षेत्र में, सम्राट अशोक महान् द्वारा निर्मित स्तुप, विहार एवं स्तम्भ है। एतिहासिक तथ्यों के अनुसार भगवान बुद्ध अपनी यात्रा के समय इन स्थानों पर धम्म देशना तथा विश्राम किए थे। यह क्षेत्र सम्राट अशोक महान् के स्वर्णिम शासन व्यवस्था की याद दिलाता है।
महोत्सव में स्थानीय एवं दूर-दराज से लाखों की संख्या में जनसमूह एकत्रित होता है। इस अवसर पर समाज के बु˜िजीवियों द्वारा राष्ट्रीय विषय बिन्दु पर व्याख्यान दिया जाता है तथा राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकार पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है।
-
2
धम्म विजय दिवस समारोह |
विश्व के महानतम् सम्राटों में सर्व प्रमुख सम्राट अशोक महान् अपनी सैन्य बल से अपने विजय अभियान के भीषण एवं हृदय विदारक कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार से अत्यन्त दुःखी एवं व्याकुल हो गये थे। हिंसा से व्यथित चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने 262 ई. पू. में उपगुप्त नामक भिक्खु की प्रेरणा से अहिंसा, करुणा, आपसी सदभाव् एवं जनकल्याण इत्यादि के मूल मंत्र से युक्त विश्व गुरु गौतम बुद्ध के बताये मार्ग को ही अपना धर्म (धम्म) बना लिया एवं हिंसा रुपी अधर्म पर अहिंसा रुपी धम्म की विजय की घोषणा करते हुए, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दसवीं को “धम्म विजय दिवस समारोह” के रुप में एक राष्ट्रीय त्यौहार का आरम्भ किया। इस अवसर पर प्रत्येक वर्ष सम्राट द्वारा सार्वजनिक रुप से जनता के साथ उत्सव में शामिल होकर जनकल्याण की विभिन्न योजनाओं की घोषणा एवं सैन्य निरीक्षण की परम्परा की शुरुआत हुई। मौर्य सम्राज्य के अन्त के साथ ही, धीरे-धीरे जनसामान्य द्वारा मनाए जा रहे बुराई (हिंसा) पर अच्छाई्र (अहिंसा) की विजय के पर्व “धम्म विजय दिवस समारोह“ को विलूप्त कर दिया गया।
सम्राट अशोक क्लब, प्रत्येक वर्ष देश की राजधानी दिल्ली में दया, करुणा, प्यार, भाईचारा, आपसी एकता, सद्भाव का संदेश देने वाले, सम्राट अशोक के शासन काल के इस राष्ट्रीय पर्व को मनाता है।
इस समारोह का आरम्भ सम्राट अशोक महान् के दिल्ली स्थित अशोक स्तम्भ एवं शिलालेख स्थल पर पुजा-अर्चना से होता है तथा मुख्य कार्यक्रम स्थल पर विद्वानों, विचारकों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा जनमानस को सम्राट अशोक महान् के समानता मूलक, मानवतावादी व राष्ट्रवादी शासनशैली पर व्याख्यान एवं संदेश दिया जाता है तथा राष्ट्रीय एवं सामाजिक सरोकार पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है।
-
3
राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह सम्मान समारोह |
सम्राट अशोक क्लब, प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को विभिन्न राज्यों के जनपदों में राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह सम्मान समारोह आयोजित करता है। इस समारोह में, राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों की नगर में झाॅकी निकाली जाती है तथा निर्धारित कार्यक्रम स्थल पर विद्वानों, विचारकों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा जनमानस को राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के महत्तव, सम्मान व राष्ट्र प्रेम की बाते बताई जाती है। इस अवसर पर राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
-
4
सम्राट अशोक महान् जयन्ती “अशोकाष्टमी“ |
सम्राट अशोक क्लब, प्रत्येक वर्ष चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान् की जयंती चैत्र शुक्ल अष्टमी के दिन विभिन्न राज्यों के जनपदों में हर्षो-उल्लास के साथ उत्सव के रुप में मनाता है। इस उत्सव में राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों की नगर में झाॅकी निकाली जाती है। उनके द्वारा निर्मित स्तम्भों एवं शिलालेखों की पूजा की जाती है तथा निर्धारित कार्यक्रम स्थल पर विद्वानों, विचारकों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा जनमानस को सम्राट के व्यापक साम्राज्य, बन्धुता, न्याय एवं लोककल्याणकारी शासन व्यवस्था एवं भारत की राष्ट्रीय एकता, अखण्डता, धर्मनिरपेक्षता आदि विषय बिन्दुओं पर व्याख्यान होता है। राष्ट्रीयता पर केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।